Monday, November 16, 2009

भड़काऊ भाषण से कमज़ोर होता देश

पिछले दिनों सूबे के मुखमंत्री की आपतिजनक टिपण्णी न केवल प्रदेशेस्तर तक छायी रही बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना रहा । मीडिया में यह ख़बर आग की तरह फैल गयी खासकर प्रिंट मीडिया में तो ख़बर एक सप्ताह तक चलती रही , ख़बर चलाना भी स्वाभाविक था । संवेधानिक पद पर बैठे ज़िम्मेदार व्यक्ति से यह आपेक्षा नही किया जा सकता । जैसा की मध्य प्रदेश के मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान दौरा दिया गया है । शिवराज सिंह चौहान एक सभा को संबोधित करते हुए कहा की कल- कारखाना सतना में लगे और काम बिहार के लोगो को मिले यह सम्भव नही है। उद्योग का लाभ यहाँ के स्थानीय लोगो को प्राप्त हो ताकि जीवन स्तर में सुधर हो सके । जिससे प्रदेश का ग्राफ देश के समृद्ध राज्यों में ऊपर आए । गौरतलब है की हमारे संविधान में साफ साफ लिखा गया है की भारत का कोई नागरिक देश के किसे भी कोने में जाकर जीवकापर्जन कर सकता है । (आपवाद जमू कश्मीर को छोड़कर ) नि : संदेह इस तरह का बयान लोकतंत्र की पुजारी वाले देश के लिए कतई उचित नही है। हमें अब इस बात को बहुत आच्छी तरह समझनी होगी की भारत राज्यों से बनकर बना है राज्य एक भोगोलिक इकाई है जबकि राष्ट्र एक भावनात्मक इकाई। राष्ट्र की उन्नति सिर्फ एक या दो राज्य की प्रगति से नही हो hसकती उसके लिए ज़रूरी है की सभी व्यक्ति , समाज और राज्य को ज़िम्मेदारी पूर्वक आगे बढना । यह बात ठीक है की उद्योग धंधे या कंपनी में वहा के स्थानीय लोगो को जगह मिलनी चाहिए । आधिक से अधिक लाभ यहाँ की जनता को प्राप्त हो । लकिन प्रश्न है की क्या कंपनी में नियुक्ति के लिए जो कम से कम योग्यता निर्धारित की गए है उसे दरकिनार कर देना चाहिए। क्या प्रतिभावान या तकनिकी रूप से दक्ष व्यक्ति नियुक्ति प्रक्रिया से इसलिए वंचित रहना चाहिए की वोह दूसरे प्रदेश के लोग आथवा वह एक अप्रवासी है निश्चित रूप से हर भारतीयों को सोचना , समझाना और चिंतन करना चाहिए की आख़िर राजनेता देश को किस दिशा में ले जन चाहते है। यह देश को बटने के साथ निम्न स्तारिये राजनीति करने का तरीका है इसमे कोई दो राये नही की उत्तर भारतीय में जो मेहनत करने का साहस , में प्रतिबधता है सहनशीलता है और किसे में नही है। तभी राज ठाकरे या शिव राज सिंह चौहान या तमिल सरकार या गुजरात सरकार ही क्यों न हो आए दिन उत्तर प्रदेश और बिहार पर मखौल उड़ाते बाज नही आते बाबजूद उत्तर भारतीय पुरी तन्मयता से देश के विकास में निरंतर सेवा तथा सहयोग देन में कोई कसर नही छोड़ती।